मध्यप्रदेश का इतिहास (History Of Madhya Pradesh) - प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Age)

 

मध्यप्रदेश के इतिहास और पुरातात्विक अतीत का उद्भव प्रागैतिहासिक काल से माना जाता है। 
मध्यप्रदेश भारत में मानव सभ्यता और संस्कृति के विकास का प्रारंभिक केंद्र रहा है।

मध्यप्रदेश के विस्तृत भु - भाग पर मानव इतिहास के सुविधापूर्ण अध्ययन के लिए प्रागैतिहासिक काल को निम्न काल खंडो में बांटा गया है -

प्रागैतिहासिक काल (Prehistoric Age)


1) पुरापाषण काल।   
2) मध्यपाषाण काल 
3) नवपाषण काल     
* ताम्र पाषाण काल।  

1) पुरापाषाण काल (Paleolithic Period) -

🔸इस काल में मध्य प्रदेश दक्षिण भारत व उत्तर भारत के तत्कालीन हथियारों, औजारों तथा विभिन्न  उद्योगों का संगम स्थल रहा था।

🔸पूरा पाषाण काल से संबंधित म.प्र. की नदी घाटिया -
नर्मदा, चंबल, बेतवा, सुनार, सोन आदि...

🔸म.प्र. के पूरा पाषाण कालीन स्थल - 
भीमबेटका, आदमगढ़, जावरा, रायसेन, पचमढ़ी आदि...

🔸नर्मदा नदी घाटी पाषाण कालीन मानव सभ्यता के विकास की भूमि रही है| नर्मदा घाटी से ही सर्वाधिक पाषाण कालीन स्थल एवं उपकरण प्राप्त हुए है।


🔸अमरकंटक से होशंगाबाद जिले तक विस्तृत नर्मदा घाटी से स्तनधारी पशुओं के जीवाश्म भी प्राप्त हुए है।
जिनमे राजा सौरस नामक मांसाहारी डायनासोर के  साक्ष्य प्राप्त हुए है।



हथनौरा 
यह सीहोर जिले में स्थित है जहां पुरातत्वविद अरुण सोनकिया द्वारा उत्खनन के दौरान मानव जीवश्म (मानव खोपड़ी) के साक्ष्य प्राप्त किए है, जो भारत में प्राप्त मानव अवशेषों में सबसे प्राचीन है। इसका नाम नर्मदा मानव रखा गया है।



महादेव पिपरिया 
यह होशंगाबाद जिले में स्थित है जहां से  860 औजार प्राप्त हुए है।



भेड़ाघाट 
यह जबलपुर जिले में स्थित है जहां भेड़ाघाट के समीप जल क्रिया द्वारा वेल्लित पर्त (फ्लेक) के साक्ष्य मिले है।



भूतरा 
यह नरसिंहपुर जिले में स्थित है जहां से पाषाण कालीन उपकरण प्राप्त हुए है जो मध्य प्रदेश के सबसे प्राचीन उपकरण माने जाते है।

🔰महादेव पिपरिया, भेड़ाघाट और भुतरा स्थल का उत्खनन डॉ एच डी संकलिया और सुपेरकर द्वारा किया गया था ।



2) मध्य पाषाण काल   (Mesolithic Period) -

🔸होशंगाबाद जिले में स्थित आदमगढ़ शैलाश्रय से आर. बी. जोशी ने मध्य पाषाण कालीन 25 हजार लघु पाषाण प्राप्त किए है।

🔸आदमगढ़ से मानव के पशुपालक होने के प्रथम साक्ष्य मिले है ।

🔸आदमगढ़ से मानव के साथ कुत्ते के दफनाने के साक्ष्य भी मिले है।


🔸सी. एल. कोरलाइल द्वारा वर्ष 1867 में विंध्य क्षेत्र से लघु पाषाण की खोज की गई है।

🔸धार जिले के बाघ की गुफाओं के समीप मध्य पाषाण काल से नव पाषाण काल तक के उपकरणों की प्राप्ति हुई है।


3) नव पाषाण काल (Neolithic Period) -

🔸भोपाल स्थित मनुआभान टेकरी, नेवरी गुफा और श्यामला पहाड़ी के शैलाश्रय से अनेक खांचेदर क्रोड तथा लघु पाषाण उपकरण प्राप्त हुए है।

🔸भोपाल के बैरागढ़ के निकट स्थित शैलाश्रयों में अर्द्धचंद्राकार, समलंब आदि नव पाषाण कालीन उपकरण प्राप्त हुए है।

🔸जबलपुर में नर्मदा नदी के भेड़ाघाट, तिलवाड़ा घाट तथा लम्हेट  घाट में नव पाषाण कालीन मानव बस्तियों के साक्ष्य मिले हैं। 

🔸रीवा संभाग के अन्तर्गत सोन नदी की तलहटी तथा ई टार पहाड़, बनास तथा मोहन नदी घाटी के मध्य अनेक नव पाषाण कालीन उपकरण प्राप्त हुए है।

🔸रीवा जिले में चचाई जलप्रपात तथा गोविंदगढ़ तालाब के निकट लघु पाषाण कालीन उपकरण खोजे गए हैं।

🔸दमोह जिले के दक्षिण - पूर्व में स्थित संग्रामपुर घाटी से वर्ष 1866 में नव पाषाण कालीन अवशेषों की प्राप्ति हुई है।

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