ऐतिहासिक काल (Historic Age)
लौह युग -
मध्यप्रदेश में लौह युगीन संस्कृति के साक्ष्य तथा धूसर मृदभांड के अवशेष मालवा क्षेत्र तथा भिंड, मुरैना एवं ग्वालियर से प्राप्त हुए है, जो लगभग 1000 ई. पू. के है।
वैदिक सभ्यता (Vaidik Civilization) -
🔸उत्तर वैदिक संहिताओ , ब्राह्मण ग्रंथों एवं अरण्यकों में मध्य प्रदेश से संबंधित विवरण प्राप्त होते है।
कौष्तिकी उपनिषद में अप्रत्यक्ष रूप से विंध्य पर्वत का उल्लेख है।
🔸शतपथ ब्राह्मण तथा वैदिकोत्तर साहित्य में रेवोत्तरम का उल्लेख मिलता है, जिसे इतिहासकार वेबर रेवा नदी मानते है।
🔸महर्षि अगस्त्य के नेतृत्व में नर्मदा घाटी के यादवों का एक समूह बस गया था और यहीं से इस क्षेत्र में आर्यो का आगमन प्रारंभ हुआ।
🔸उत्तर वैदिक काल में कुछ अनार्य विशेषकर निषाद जाति के लोगों का ऐतरेय ब्राह्मण में उल्लेख मिलता है, जो मध्य प्रदेश के घने जंगलों में निवास करते थे।
पौराणिक कालखंड -
🔸पौराणिक कथाओं के अनुसार, करकोट नागवंशी शासक नर्मदा के किनारे काठे के शासक थे और इन्होने अपनी पुत्री नर्मदा का विवाह इक्ष्वाकु वंश के राजा पुरूकुत्स के साथ किया था।
🔸पुरुकुत्स ने रेवा का नाम नर्मदा कर दिया था ।
इसी वंश ने विंध्य तथा सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के बीच मान्धाता नगरी (खंडवा) की स्थापना की।
🔸कालांतर में यदुवंश की हैहय शाखा के राजा माहिष्मत ने राजधानी महिष्मति बना लिया । (महिष्मति वर्तमान महेश्वर)
किर्तिवीर्य अर्जुन : -
🔸ये हैहय वंश के महाप्रतापी राजा हुए । जिन्हें सहस्त्रार्जून के नाम से जाना जाता है। सहस्त्रार्जून का अर्थ - हजार हाथ होता है।
🔸उल्लेख मिलता है कि सहस्त्रार्जुन ने लंकापति रावण को हराकर बंदी बना लिया था ।
🔸इन्हीं के नाम पर वर्तमान में महेश्वर (खरगोन) में सहस्त्र धारा जलप्रपात है।
🔸इन्होने कारकोट के युद्ध में अनुपदेश (निमाड़) को पराजित किया था।
🔸सहस्त्रार्जुं के बाद जय ध्वज, तालजंध व वितिहोत्र ने शासन किया ।
🔸इस समय तुंडिकर (दमोह), दशार्ण (विदिशा), त्रिपुरी(तेवर), अनूप(निमाड़) और अवंति (उज्जैन) आदि जनपद थे ।
🔰रामायण काल में मध्य प्रदेश के अन्तर्गत महाकांतर तथा दंडकारण्य स्थित थे। कालिदास के महाकाव्य रघुवंशम् के अनुसार -
🔸भगवान राम के पुत्र कुश ने दक्षिण कौशल (वर्तमान छत्तीसगढ़) तथा शत्रुघ्न के पुत्र शत्रु घाती (सुबहू) ने दशार्ण (विदिशा) पर शासन किया था ।
यादव वंश : -
🔸स्थापना - ययाति पुत्र यदु द्वारा
🔸राज्य - चर्मावती (चंबल), वेत्रवती (बेतवा) और शुक्तिमती (केन) नदी तक विस्तृत
🔸दतिया जिले का नाम महाभारत में वर्णित कुख्यात दैत्य दंतवक्र के नाम पर रखा गया है। दंतवक्र को श्रीकृष्ण ने पराजित किया था जिसके पश्चात वे गोपालकक्ष कहलाए।
इसी आधार पर ग्वालियर की पहाड़ियों का नाम गोपाल गिरि कहा जाने लगा ।
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