मध्य प्रदेश का इतिहास - मौर्य काल

म.प्र. में मौर्य काल -

🔸 रूद्रदामन के जूनागढ़ अभिलेख के अनुसार , गुजरात में चन्द्रगुप्त मौर्य का प्रांत पति पुरुगुप्त शासन करता था ।

🔸चन्द्रगुप्त के राज्य में सौराष्ट्र , मालवा , अवंति और मगध शामिल थे।

🔸 तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में बिन्दुसार के शासनकाल में अशोक 11 वर्षो तक अवंति का प्रांत पाल था ।

🔸मध्य प्रदेश के गुर्जरा शिलालेख (दतिया) और रुपनाथ शिलालेख (जबलपुर) से अशोक की जानकारी मिलती है। 
गुर्जरा लघु शिलालेख में अशोक का नाम अशोक, देवनाम प्रिय और प्रियदर्शन मिलता है।

🔸 महावंश के प्रमाण के अनुसार, विदिशा या बेसनगर में अशोक की भेंट एक शक वंशिय व्यव सायी की पुत्री कुमार देवी से हुई, जिससे उसने विवाह कर लिया।

🔸 गुप्त काल तक सांची का नाम काकनाबाद था । जहां अशोक का संघ भेद अभिलेख मिला है, जिसमें उसने ने संघ भेद को रोकने के लिए राजा आज्ञा प्रदान की थी।

मौर्य कालीन प्रमुख स्मारक : 

1. सांची का स्तूप -
सम्राट अशोक ने तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में सांची के बोद्ध स्तूप का निर्माण करवाया था । जो मूल रूप से इंटो से निर्मित थे । 1818 ई में जनरल टेलर ने इनकी खोज की थी।

2. तुमैन अभिलेख - 
यह  अशोकनगर जिले में विदिशा और मथुरा को जोड़ने वाले व्यापारिक मार्ग पर है ।
यहां पर तीन मौर्यकालीन बौद्ध स्तूप स्थापित किए गए थे।

3. उज्जैन का बौद्ध महास्तूप -
सम्राट अशोक द्वारा अपनी पत्नी कुमार देवी के लिए एक विशाल स्तूप का निर्माण करवाया गया, जिसके अवशेष वैश्य टेकरी (कानिपुरा) नामक टीले के रूप में विद्यमान है।

4.  कसरावद के स्तूप -
कसरावद (जिला खरगोन)  में स्थित इतबर्डी नामक टीले के उत्खनन से 11 मौर्यकालीन स्तूप प्राप्त हुए है।

5. देउरकोठार के स्तूप -
यह रीवा जिले में स्थित मौर्य कालीन बौद्ध स्तूप है।

6. पन - गुराड़िया का स्तूप -
यह सीहोर जिले में स्थित मौर्य कालीन प्रदक्षिणापथ युक्त स्तूप है।

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